मंगलवार, 17 मई 2011

पाक प्रधानमंत्री का ‘खंबा नोचू’ भाषण

//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
नईदुनिया दिल्ली में प्रकाशित
     पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के खंबा नोचूभाषण का मूल पाठ मेरे हाथ लग गया है, जो हुबहू पेश है ः-
          खवातीनों -हज़रात, ओसामा बिन लादेन के हमारे मुल्क में पाए जाने के सवाल पर दुनिया हम पर मुँह भर-भरके थूक रही है। इतने दिनों से हम खिसियाए हुए चुपचाप बैठे हुए थे मगर, आखिर कब तक हम थूक के डर से यूँ अपने घर में दुबके बैठे रहेंगे! इसलिए मुझे आज दुनिया के मुँह पर तमाचा मारने के लिए यहाँ हाज़िर होना पड़ा।
          ओसामा हमारे मुल्क में आकर रह रहा था तो इसमें हमारा क्या कुसूर है! और भी बड़े-बड़े शातिर अपराधी भाई हमारे मुल्क में पनाह लिए हुए हैं तो क्या इसमें भी हमारा कुसूर है ? क्या हमने उन्हें यहाँ बुलाया है कि आओ रे हमारे मुल्क में आकर ऐश करो!वे खुद-मुख्तार हैं, उनकी मर्जी है वे आएँ न आएँ! लेकिन, यह कौन सी शराफत हुई कि एक बूढा इंसान हमारी पनाह में चैन की सांस ले रहा था और आप हमसे बगैर पूछे उसकी मट्टी उठाकर ले गए। बडे़ भाईजानकी यह गुस्ताखी सरासर नाकाबिलेबर्दाश्त है। वे हमारी भलमनसाहत का नाजायज़ फायदा उठाकर यूँ लुटेरे-पिंडारियों की तरह हमारे मुल्क में घुस आए और हमारी इंटेलिजेंस, सिक्युरिटी, फौज-पुलिस की काबिलियत का मज़ाक उड़ाकर चलते बने। मगर हम चूड़ियाँ पहनकर नहीं बैठे थे, हम चाहते तो बड़े भाईजान के आदमियों के टुकड़े-टुकड़े करके चील-कौओं को खिला देते, अगर हमें उनकी घुसपैठ की जरा सी भी भनक लग जाती।
          वे हमारे बड़े भाई हैं, वक्त ज़रूरत अब्बाका फर्ज़ भी निभाते हैं, इसलिए हम चुप हैं। वे जो करें सो करें, यह उनका हक है, मगर किसी और ने अगर यह हिमाकत की और खुदा न खास्ता हमें पता चल गया तो हम ईंट का जवाब पत्थर से देंगे, और इसके लिए हमने पत्थर इकट्ठा करने का शाही हुक्म भी जारी कर दिया है।
          जिसे देखो वह आई.एस.आई को कोस रहा है! अरे, आई.एस.आई क्या तुम्हारे बाप कि नौकर है जो तुम्हारे मुजरिमों की जासूसी करती फिरे! उसे वैसे ही पड़ोसी मुल्क की जासूसी और वहाँ धमाकों की स्कीमें बनाने से फुरसत नहीं है। हमने तो उन्हें बाकी दुनिया के लफड़ों में पड़ने की ट्रेनिंग तक नहीं दी है, उनका तो वन-पाइंट प्रोग्राम रहता है पड़ोसियों पर नज़र रखना, वह क्यों ओसामा पर नज़र रखती! यह ठीक है कि तनख्वाहें हमारे यहाँ अमरीकी इमदाद से ही बंटती हैं, मगर इसका मतलब यह नहीं कि हम अपने खास मेहमानों को ही परेशान करने लगें।
          अब देखिए, पड़ोसियों के हाथ-पॉव भी फड़फड़ाने लगे हैं। अब वे भी बडे़ भाईजानकी तरह हॉलीवुडिया तर्ज पर हमारे यहाँ सुस्ता रहे उनके मुजरिमों को उड़ा ले जाने के ख्वाब देखने लगे हैं। खबरदार, अगर उन्होंने हमारे मुल्क में घुसकर किसी को ज़बरदस्ती उड़ा ले जाने की नामाकूल कोशिश की तो हम भी उनके यहाँ से किसी को भी उठा ले आएँगे। फिर बाद में मत कहना कि हमें चेताया नहीं था। आमीन।

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