गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

1 अप्रैल 2010, 0000 आवर्स से महँगाई खत्म

//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//
    31 मार्च 2010 समय 2400 आवर्स, कमाल ही हो गया। सरकार ने महँगाई बढ़ाने वाले तमाम बदमाशों को बुलाकर सीधे-सीधे कह दिया कि देखो अगर तुमने फौरन से पेश्तर हमारा हुक्म मानते हुए महँगाई खत्म नहीं की तो हर एक को चुन-चुनकर जेल में डाल दिया जाएगा। जेल में डालने के बाद भी अगर महँगाई नीचे नहीं आई तो तुम लोगों को काला पानी भेज दिया जाएगा। उसके बाद भी अगर तुम नहीं सुधरे और कीमतें ज़मीन पर नहीं आईं तो तुम सबको तोप के मुँह से बांधकर उड़ा दिया जाएगा।
    इतनी खतरनाक धमकियों के बाद सुनते हैं महँगाई बढ़ाने वाले तमाम बदमाशों में बला की घबराहट फैल गई है और उन्होंने समझौता करने की गरज से सरकार के सामने कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे हैं। उन्होंने कहा है कि हम कारों की कीमत पाँच हज़ार से आठ हज़ार के बीच में फिक्स कर देते हैं। टी.वी., फ्रिज, ए.सी. इत्यादि दो सौ से पाँच सौ रुपये कर देंगे। स्वतंत्र डुप्लेक्स बंगलों और फ्लेटों की कीमत छः हज़ार से नौ हज़ार तक की जा सकती हैं। ज़मीनों की कीमत हज़ार-बारह सौ रुपये प्रति वर्ग किलोमीटर हो सकती है। हवाई जहाज़ का किराया पैतीस रुपये और ट्रेन का किया तीन से सात रुपये करने में भी उन्हें कोई हर्ज नहीं है। बड़ी-बड़ी सितारा होटलों में खाना दस रुपये से बीस रुपये थाली, शराब दो-दो रुपये पैग और स्पा, तेल मालिश, सोना बाथ, एक-एक रुपये में दिया जाएगा।
    सरकार के प्रतिनिधियों ने महँगाई बढ़ाने वाले बदमाशों की इस स्वयंस्फूर्त पहल पर काफी प्रसन्नता व्यक्त की है और उनसे आटा, दाल, चावल, शक्कर, तेल, घी, मिट्टी का तेल, गैस सिलेन्डर, कॉपी-किताब, शिक्षा, चिकित्सा, दवाइयों और बेबी फूड की कीमतों को भी कम करने का अनुरोध किया है परन्तु बदमाशों ने इस मुद्दे पर सरकार से चरण छूकर माफी माँग ली है। उन्होंने कहा है कि चाहे तो हमें बीच चौराहे पर कोड़े लगा लो, पत्थर मार-मारकर संगसार कर दो, फाँसी पर चढ़ा दो मगर आटा, दाल, चावल और इन सारी चीज़ों के भाव कम करने में हम असमर्थ हैं। बदमाशों के प्रतिनिधि ने सरकार से कहा है कि  वे इन सारी आम जनसाधारण के उपयोग में आने वाली ज़रूरी चीज़ों को घर-घर जाकर मुफ्त में बाँटने के लिए राजी है परन्तु इनके दाम कम कर पाप का भागीदार बनने का उनका कोई इरादा नहीं है।
     बदमाशों के इस खतरनाक इरादे से सरकार के लिए हालाँकि व्यवस्था भंग होने का गंभीर खतरा पैदा  हो गया है परन्तु 1 अप्रैल 2010 को समय 0000 आवर्स से यह व्यवस्था लागू होने जा रही है।
    मुझे पता है कि चूँकि 1 अप्रैल, फूल डे होता है, इसलिए अधिकतर बेवकूफ लोग इस समाचार पर भरोसा नहीं करेंगे, लेकिन मेरी इल्तजा है कि थोड़ी देर के लिए बेवकूफ बनने में किसी के बाप का आखिर जाता क्या है ?  

3 टिप्‍पणियां:

  1. मूर्ख होना हमारी नियति है; हम मूर्ख थे, मूर्ख हैं और मूर्ख ही रहेंगे।

    Britishers were advertising outside India that "Indians are uncivilized. Therefore we are making them civilized. Therefore we should stay there. Don't object." Because United Nations, they were asking, "Why you are occupying India?"

    खुशखबरी !!! संसद में न्यूनतम वेतन वृद्धि के बारे में वेतन वृद्धि विधेयक निजी कर्मचारियों के लिये विशेषकर (About Minimum Salary Increment Bill)

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  2. बहुत सटीक व्यंग आज के दिन ;मेरे भी अल्फाज़ आपके इस तंज़ के साथ हैं ,कुछ यूँ ;
    महंगाई आसमान को छूकर निकल गयी
    कहता है कौन ? आसमां चुना मुहल है
    गाड़ी औ फ़ोन हो गए सस्ते 'अमीर' के
    महंदी फ़क़त 'ग़रीब 'की रोटी औ डाल है
    लता 'हया'

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